भए प्रगट कृपाला दीन दयाला कौशल्या हितकारी । हरषित महतारी मुनि मन हारी अद्भुत रूप बिचारी ।। लोचन अभिरामा तनु घन स्यामा निज आयुध भुज चारी । भूषण बनमाला नयन बिसालासोभा सिंधु खरारी ।। कह दुख कर जोरी अस्तुति तोरी केहि बिधि करौं अनंता। माया गुन…
Radhe Tere Charano Ki Dhool Jo Mil Jaye(राधे तेरे चरणों की गर धूल जो मिल जाए)।
राधे तेरे चरणों की गर धूल जो मिल जाए , सच कहती हूँ, मैया मेरी , तकदीर बदल जाए। राधे तेरे चरणों की………………………….. सुनते हैं तेरी रहमत, दिन रात बरसती है-२ एक बूँद ही मिल जाए, जीवन ही बदल जाए। राधे तेरे चरणों की…………………………… ये मन बड़ा चंचल है,…
Mane Chakar Rakho Jee.( मने चाकर राखो जी ) (मीरा जी के भजन ) ।
मने चाकर राखो जी, मने चाकर राखो जी। गिरधारीलाला चाकर राखो जी, मने चाकर राखो जी। चाकर रहसूँ ,बाग लगासूँ, नित उठि दरसन पासूँ । बृंदावन की कुंज गली में, गोविन्द लीला गाँठूँ । मने चाकर राखो जी, मने चाकर राखो…
जय राम रमा रमनं समनं भवताप भयाकुल पाहि जनं । (राम चरितमानस )
जय राम रमा रमनं समनं । भवताप भयाकुल पाहि जनं ।। अवधेस सुरेस रमेस विभो। सरनागत मागत पाहि प्रभो ।। दससीस बिनासन बीस भुजा ।कृत दूरि महा महि भूरि रूजा।। रजनीचर बृंद पतंग रहे ।सर पावक तेज़ प्रचंड…
Jab Tu Hi Tu Hai Sab Me Vasa-जब तू ही तू है सब में बसा,फिर कौन भला और कौन बुरा ।
जब तू ही तू है सब में बसा, फिर कौन भला और कौन बुरा …..२ हर चीज में जलवा तेरा ही,मुझे नज़र आया इन आँखों से, एक बार जो देखा,परदा हटा,फिर कौन भला…
Ab Tak Jo Nibhaya Hai , Aage Bhi Nibha Dena.अब तक जो निभाया है, आगे भी निभा देना ।(राम जी का भजन )
अब तक जो निभाया है, आगे भी निभा देना , हे नाथ मेरी नैया ,उस पार लगा देना ।………२ संभव है झंझटों में, मैं तुमको भूल जाऊँ ..२…
Apna Nahi Jag Me Koi , Nishidin Bhajo Shri Bhagwan Re.(अपना नहीं जग में कोई , निशिदिन भजो श्री भगवान रे )।
अपना नहीं जग में कोई , निशिदिन भजो श्री भगवान रे। पैर दिये तीरथ करने को, हाथ दिये करो दान रे । …
Govind Hare Gopal Hare-(गोविन्द हरे गोपाल हरे ) ( श्री कृष्ण भजन )।
गोविन्द हरे गोपाल हरे, जय जय प्रभु दीन दयाल हरे ….२ मेंरे मन मंदिर में आ जाओ , मेरी जीवन ज्योत जगा जाओ तुमसे नहीं…
Itna To Karna Swami, Jab Pran Tan Se Nikle.(इतना तो करना स्वामी , जब प्राण तन से निकले)।
इतना तो करना स्वामी, जब प्राण तन से निकले। गोविन्द नाम लेकर, राधे का नाम लेकर, जब प्राण तन से निकले, हर हर कंठ बोले। जब प्राण तन से निकले,इतना तो करना स्वामी, …
Pandavon Ke Prati ShriKrishan Ka Sneh (पांडवों के प्रति श्रीकृष्ण का स्नेह) ।
कुरुक्षेत्र के युद्ध में , दुर्योधन अपनी सेना को कमज़ोर पड़ता देख ,भीष्म पितामह के पास गया और पितामह को पांडवों पर पक्षपात का आरोप लगाया ।दुर्योधन ने पितामह से काफ़ी कड़े शब्दों में कहा कि आप पांडवों को मारना नहीं चाहते हैं क्योंकि वे…