जय जय गिरिवर राज किशोरी (गौरी स्तुति) का पाठ और उसकी महिमा के बारे में पढ़ें-
सेवत तोहि सुलभ फल चारी।
बरदायनी पुरारी पिआरी।।
देबि पूजि पद कमल तुम्हारे ।
सुर नर मुनि सब होहिं सुखारे।।
मोर मनोरथु जानहु नीकें।
बसहु सदा उर पुर सबहीं के ।।
कीन्हेऊँ प्रगट न कारन तेहीं।
अस कहि चरन गहे बैदेही ।।
बिनय प्रेम बस भई भवानी ।
खसी माल मूरति मुसकानी ।।
सादर सियँ प्रसादु सिर धरेऊ।
बोली गौरि हरषु हियँ भरेऊ ।।
सुनु सिय सत्य असीस हमारी ।
पूजिहिं मनकामना तुम्हारी ।।
नारद बचन सदा सुचि साचा ।
सो बरू मिलिहि जाहिं मनु राचा ।।
मनु जाहिं राचेउ मिलिहि सो बरू सहज सुंदर साँवरो ।
करुना निधान सुजान सीलु सनेह जानत रावरो ।।
एहि भाँति गौरि असीस सुनि सिय सहित हियँ हरषीं अली ।
तुलसी भवानिहि पूजि पुनि पुनि मुदित मन मंदिर चली ।।
जानि गौरि अनुकूल सिय हिय हरषु न जाय कहि ।
मंजुल मंगल मूल बाम अंग फरकन लगे ।।
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जय जय गिरिवर राज किशोरी (गौरी स्तुति) की महिमा
पूजनीय राजन जी महाराज बताते हैं कि जो इस स्तुति का पाठ करेगा उसे स्वतह ही दुर्गा सप्तशती का पूरा पाठ करने का फल प्राप्त हो जाएगा |
यह पाठ अति प्रभाव शाली है और फलदायक है |
I wish Mene Jo manga mil Jaye meko MERI sadi jay se ho Jaye तथास्तु