दोउ भैया मैया पै माँगत , दै री मैया , माखन रोटी ।
सुनत भावती बात सुतनिकी , झूटहिं धाम के काम अगोटी ।।
बल ज़ू गह्यो नासिका मोती , कान्ह कुँवर गहि दृढ़ करि चोटी ।
मानो हंस मोर भष लीन्हें , कबि उपमा बरनै कछु छोटी ।।
यह छबि देखि नंद मन आनन्द , अति सुख हँसत जात हैं लोटी ।
सूरदास मन मुदित जसोदा , भाग बड़े , कर्मनि दो मोटी।।