( नवरात्रि की महिमा – नवदुर्गा के स्वरुप – पढ़ने के लिए क्लिक करें )
नवरात्रि के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है।
माता ब्रह्मचारिणी का अर्थ
ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी का अर्थ है आचरण करने वाली। माता ब्रह्मचारिणी को तपश्चारिणी भी कहा जाता है।
यह देवी अपने भक्तों को ज्ञान और शक्ति प्रदान करतीं हैं।
माता का स्वरूप
माता ब्रह्मचारिणी का स्वरूप 1 कन्या के रूप में है, जो श्वेत वस्त्र धारण किए हुए हैं। उनके दाएँ हाथ में अष्टदल की माला और बाम हाथ में कमंडल है।
यह स्वरूप तपस्या और त्याग का प्रतीक है।
कथा
शास्त्रों में बताया गया कि माता ने पार्वती के रूप में पर्वतराज हिमालय के घर जन्म लिया। महर्षि नारद के कहने पर, उन्होंने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या करी।
उनकी तपस्या इतनी कठिन हुई कि उन्होंने कई वर्षों तक निराहार रहकर भगवान शिव को प्रसन्न किया।
इसीलिए उनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ गया |
पूजा विधि
माता ब्रह्मचारिणी की पूजा में विशेष ध्यान रखा जाता है। भक्त उन्हें लाल फूल, फल, और घी के दीपक अर्पित करते हैं।
पूजा मंत्र
माता ब्रह्मचारिणी का पूजन निम्नलिखित मंत्र से किया जाता है:
दधाना कपाभ्यामक्षमालाकमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥
अर्थात- हे देवी, आप अपने दोनों हाथों में माला और कमंडल धारण करती हैं। हे सर्वोत्तम देवी ब्रह्मचारिणी, कृपया मुझ पर कृपा करें।
पूजा का फल
माता ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से भक्तों को आत्मविश्वास, आयु, आरोग्य, और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। देवी साधकों को सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती हैं। यह भक्तों के लिए शक्ति और ज्ञान का स्रोत बना रहता है |
1 thought on “माँ दुर्गा का द्वितीय रूप माँ ब्रह्मचारिणी”