माता कूष्मांडा का वाहन सिंह है। इनके आठ हाथ होते हैं, जिनमें कमंडल, धनुष, बाण, कमल, अमृत कलश, चक्र और गदा शामिल हैं। इनका यह स्वरूप शक्ति और समृद्धि का प्रतीक है।
Tag: maa durga
माँ दुर्गा का तृतीय रूप माता चन्द्रघण्टा
माता चंद्रघंटा का नाम उनके मस्तक पर घंटे के आकार के अर्धचंद्र के कारण पड़ा। यह देवी शक्ति और शांति का प्रतीक मानी जाती हैं। माता चंद्रघंटा को पापों का नाशक और सुख-समृद्धि प्रदान करने वाली देवी माना जाता है।
जय भगवती भवानी नमो वरदे – माँ भगवती स्त्रोत्र
जय भगवती भवानी नमो वरदे, जय पाप विनाशिनी बहु फल दे।
जय शुम्भ निशुम्भ कपाल धरे, प्रणमामि तु देवी नरार्ति हरे।
जय चन्द्र दिवाकर नेत्र धरे, जय पावक भूषित वक्त्र वरे।
माँ दुर्गा का द्वितीय रूप माँ ब्रह्मचारिणी
नवरात्रि के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। माता ब्रह्मचारिणी का अर्थब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी का अर्थ है आचरण करने वाली। माता ब्रह्मचारिणी को तपश्चारिणी भी कहा जाता है
नवरात्रि की महिमा – नवदुर्गा के स्वरुप
जानिये नवरात्रि की महिमा क्या है और नवदुर्गा के स्वरुप और उनकी शक्तियां कौन सी हैं
माँ दुर्गा का प्रथम स्वरूप – माँ शैलपुत्री
नवरात्र के प्रथम दिन घट स्थापन के बाद माँ दुर्गा के प्रथम स्वरूप ‘माता शैलपुत्री’ की पूजा करने का विधान है।
शैल का अर्थ है हिमालय और हिमालय के यहाँ जन्म लेने के कारन इन्हें शैलपुत्री कहा जाता है। पार्वती के रूप में इन्हें भगवान शंकर की पत्नी के रूप में भी जाना जाता है।
माँ दुर्गा का सातवां रूप – माँ कालरात्रि
नवरात्र के सातवें दिन दुर्गाजी के सातवें स्वरूप माँ कालरात्रि की पूजा होती है।
इनका वर्ण अंधकार रात्रि की तरह काला है ।बाल बिखरे हुये हैं और गले में माला बिजली की तरह देदीप्यमान है।इन्हें तमाम आसुरि शक्तियों का विनाश करने वाला बताया गया है।इनके तीन नेत्र और चार हाथ हैं ।इनके एक हाथ में खड़ग है तो दूसरे हाथ में लौह अस्त्र है, तीसरे हाथ मेंअभयमुद्रा है और चौथे हाथ में वरमुद्रा है।इनका वाहन गर्दभ अर्थात गधा है।
माँ दुर्गा का छठा रूप – माँ कात्यायनी
नवरात्र के छठे दिन दुर्गाजी के छठे स्वरूप माँ कात्यायनी की पूजा और अर्चना की जाती है।ऐसा विश्वास है कि इनकी उपासना करने से अर्थ , धर्म , काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है।माँ ने कात्य गोत्र के महर्षि कात्यायन के यहाँ पुत्री रूप में जन्म लिया,इसलिए इनका नाम कात्यायनी पड़ा।इनका रंग स्वर्ण की भांति अत्यन्त चमकीला है और इनकी चार भुजायें हैं।
माँ दुर्गा का पंचम रूप माँ स्कन्दमाता
नवरात्र के पाँचवे दिन दुर्गाजी के पाँचवे स्वरूप माँ स्कंदमाता की पूजा-अर्चना की जाती है।स्कंद शिव और पार्वती के पुत्र कार्तिकेय (षडानन,अर्थात छह मुख वाले) का एक नाम है।स्कंद की माँ होने के कारण ही इनका नाम स्कंदमाता पड़ा।
ऐसा प्यार बहा दे मैया- Aisa Pyar Baha De Maiya
ऐसा प्यार बहा दे मैया , चरणों से लग जाऊँ मैं ।
सब अंधकार मिटा दे मैया , दर्श तेरा कर पाऊँ मैं ।
ऐसा प्यार…..
जग में आकर जग को मैया , अब तक न पहचान सका ।
क्यों आया हूँ कहाँ है जाना , ये भी न मैं जान सका ।
तू है अगम अगोचर मैया , कहो कैसे लख पाऊँ मैं ।
ऐसा प्यार…..