वसुदेव-सुतं देवं कंस-चाणूर-मर्दनम् देवकी-परमानन्दं कृष्णं वन्दे जगद् गुरुम् || vasudeva-sutam devam kamsa-chAnUra-mardanam devakI-paramAnandam krishnam vande jagadgurum अतसीपुष्पसङ्काशं हार-नूपुर-शोभितम् रत्न-कङ्कण-केयूरम कृष्णं वन्दे जगद् गुरुम् || atasIpshpasankAsham hAra-nUpura-shobhitam ratna-kankaNa-keyuram krishnam vande jagadgurum कुटिलालक-संयुक्तं पूर्णचंद्र-निभाननम् विलसत्-कुण्ड्लधरं कृष्णं वन्दे जगद् गुरुम् || kutilAlaka-samyuktam pUrNachandra-nibhAnanam vilasat-kundaladharam krishnam vande jagadgurum मंदारगन्ध-संयुक्तं चारुहासं चतुर्भुजं बर्हि-पिच्छावचूडाङ्गं कृष्णं वन्दे जगद् गुरुम् || mandAragandha-samyuktam chAruhAsam chaturbhujam barhi-picchAvachUdAngam…
Tag: कृष्ण
कान्हा ने जब गोपियों की शिकायत की यशोदा मैया से।
मैया जब मैं घर से चलूँ , बुलावें ग्वालिन सादर मोय । अचक हाथ को झालो देके, मीठी बोले देवर कहके । निधरक हो जायँ साँकर देके , झपट उतारे काछनी , मुरली लेयँ छिनाय । मैं बालक ये धींगरी , इनसे कहा बसाय । खुद नाचे अरू मोयँ नचावें । क्या – क्या…
ShriNandKumarashtakam ( श्रीनंदकुमाराष्टकम् )
सुंदर गोपालं उरवनमालं नयन विशालं दु:ख हरम् , वृंदावनचंद्रम् आनंदकन्दम् परमानंदम् धरणीधरम् । वल्लभ घनश्यामं पूर्णकामं अत्यभिरामं प्रीतिकरम् , भजनंदकुमारं सर्वसुखसारं तत्व विचारं ब्रह्मपरम् ।।१ ।। सुंदर वारिजवदनं निर्जित मदनं आनंद सदनं मुकुटधरम् , गुंजाकृतिहारं विपिनविहारं परमोदारं चीरहरम् । वलल्भ पटपीतं कृत उपवीतं कर नवनीतं विबुधवरम् , भजनंदकुमारं सर्वसुखसारं तत्व विचारं ब्रह्मपरम् ।। २ ।।…
ShriDamodarashtkam ( श्रीदामोदराष्टकम् )
नमामीश्वरं सच्चिदानंदरूपं लसत्कुण्डलं गोकुले भ्राजमानम् । यशोदाभियोलूखलाद्धावमानं परामृष्टमत्यं ततो द्रुत्य गोप्या ।।१ ।। ( जिनके कपोलों पर लटकते मकराकृत-कुंडल क्रीड़ा कर रहे हैं, जो गोकुल के चिन्मय धाम में परम शोभायमान हैं, जो दूध की हांडी फोड़ने के कारण माँ यशोदा से भयभीत होकर ऊखल के उपर से कूदकर अत्यन्त वेग से दौड़ रहे हैं…
व्रज भूमि के गिरिराज पर्वत ( गोवर्धन ) की कथा।
गोवर्धन पर्वत अपना सर्वस्व श्रीकृष्ण को ही मानते हैं।यह पर्वत अपने पत्र ,पुष्प ,फल ,और जल को श्रीकृष्ण का ही मानकर उन्हें सदा समर्पित करता है।जब प्रभु तथा उनके सखाओं को भूख लगती है,तो नाना प्रकार के फल उन्हें अर्पित करता है,और प्यास लगने पर अपने मधुर जल से उन्हें तृप्त करता है।प्रभु को सजाने…
Shree Krishna Stuti (श्री कृष्ण स्तुति ) ।
श्री कृष्णचन्द्र कृपालु भजु मन, नन्द नन्दन यदुवरम् । आनन्दमय सुखराशि ब्रजपति, भक्तजन संकटहरम् । सिर मुकुट कुण्डल तिलक उर, बनमाल कौस्तुभ सुन्दरम् । आजानु भुज पट पीत धर, कर लकुटि मुख मुरली धरम् । बृष…
ShreeKrishnashtakam ( श्रीकृष्णाष्टकम् )
भजे व्रजैकमण्डनं समस्तपापखण्डनं स्वभक्तचित्तरंजनं सदैव नन्दनन्दनम् । सुपिच्छगुच्छमस्तकं सुनादवेणुहस्तकं ह्वानंगरंगसागरं नमामि कृष्णनागरम् ।। १ ।। मनोजगर्वमोचनं विशाललोललोचनं विधूतगोपशोचनं नमामि पद्मलोचनम् । करारविन्दभूधरं स्मितावलोकसुन्दरं महेन्द्रमानदारणं नमामि कृष्णवारणम् ।।२ ।। कदम्बसूनूकुण्डलं सुचारुगण्डमण्डलं व्रजांगनैकवल्लभं नमामि कृष्ण दुर्लभम् । यशोदया समोदया सगोपया सनन्दया युतं सुखैकदायकं नमामि गोपनायकम्…
Gwalbal sang Dhenu Charawat Krishna.
श्यामसुन्दर अपने सखा से गैया चराते हुये कहते हैं, ‘ सखा सुबल, श्रीदामा, तुमलोग सुनो ! वृन्दावन मुझे बहुत अच्छा लगता है, इसी कारण मैं व्रज से यहाँ वन में गायें चराने आता हूँ।कामधेनु, कल्पवृक्ष आदि जितने वैकुण्ठ के सुख हैं,देवि लक्ष्मी के साथ वैकुण्ठ के उन सब सुखों को मैं भूल जाता हूँ।इस वृन्दावन…
ShriKrishna aur RukminiJi Ka Vivah.
कुण्डिनपुर के राजा भीष्मक अपनी पुत्री रुक्मिणी का विवाह श्री कृष्ण से करना चाहते थे, परन्तु उनका बड़ा पुत्र रुक्मी श्रीकृष्ण का विरोधी था। वह शिशुपाल से अपनी बहिन रुक्मिणी का विवाह करना चाहता था।रुक्मिणीजी मन ही मन श्रीकृष्ण को अपना पति मान चुकि थी।रुक्मी के हठ के कारण राजा भीष्मक ने शिशुपाल से ही अपनी…
Shri Radhe Krishna Bhakt Ki Katha- श्री राधे कृष्ण भक्त की कथा
श्री राधा कृष्ण के भक्त, श्री सनातन गोस्वामी तथा श्री रूप गोस्वामी बृदावन में रहते हुए प्रभु की भक्ति करते थे।दोनो सन्त प्रभु की भक्ति में कुछ भी रचना करते तो , एक दूसरे को सुनाया करते थे।कभी भजन, कभी कविता या राधे कृष्ण की कथा करते और दोनों ही भक्ति में भाव विभोर हो…