मैया जब मैं घर से चलूँ , बुलावें ग्वालिन सादर मोय ।
अचक हाथ को झालो देके, मीठी बोले देवर कहके ।
निधरक हो जायँ साँकर देके , झपट उतारे काछनी ,
मुरली लेयँ छिनाय । मैं बालक ये धींगरी ,
इनसे कहा बसाय । खुद नाचे अरू मोयँ नचावें ।
क्या – क्या बताऊँ तोको मोरी मैया ।मैया जब …… ।। १ ।।
एक दिना एक चतुर बहुरिया, ले गई मेरी पकड़ अँगुरिया ।
छोटी सी उसकी राम कुठरिया, गोरस की मटकी तभी ,
धरी पास तत्काल । माखन दूँगी घनों सो ,चैंटी बीनो लाल।
मैंने बाकी चैंटी बीनी । वह गई निधरक सोय ।।मैया जब … ।।२ ।।
एक दिना की सुन मोरी मैया, मैं बैठो हो कदम की छैंया ।
ढिग बैठो बलदाऊ भैया ,एक आई जल भरन को ,
फिसल गयो वाको पाँव ।मेरे गोहन पड़ गई और बोली ,
धक्का दीनों श्याम , दे दे गुलचा गाल लाल किये ।
मैं ठाड़ो रह्यो रोय ,मोरी मैया।मैया जब …….. ।। ३ ।।
तेरे मुँह पर करें बड़ाई , पाछे वो तेरी करें बुराई ।
ऐसी ब्रज की ढीठ लुगाई , इनकी तु पतियाती ।
और मुझे झूठा बनाती , इनको समझती शाह।
चोर नाम मेंरो धरो , होन न देंगी मेरो ब्याह ।
मेरे साथ ये ऐसों करती , जैसो करें न कोय । मैया जब .. ।। ४ ।।