आरती श्रीबृषभानु लली की । सत – चित – आनंद- कंद – कली की ।। टेक ।। भयभंजिनि भव – सागर – तारिनि , पाप – ताप – कलि – कल्मष – हारिनि , दिब्यधाम – गोलोक – बिहारिनि , जनपालिनि जगजननि भलीकी ।। १…
Short Story Of Maharshi Valmeekijee. ( महर्षि वाल्मीकिजी की संक्षिप्त कथा ।)
एक समय की बात है , महर्षि वाल्मीकि वन में विचरण कर रहे थे । वन की शोभा अत्यन्त रमणीय थी ।वन में तरह – तरह के जीव – जन्तु तथा पक्षियों का बसेरा था।महर्षि जहाँ खड़े थे , उनके पास ही दो सुन्दर पक्षी स्नेहपूर्ण भाव से एक दूसरे के साथ रमण कर रहे…
Bhakt prahlad Ki Nyaypriya Katha. ( भक्त प्रह्लाद की न्यायप्रिय कथा ।)
प्रह्लाद पुत्र विरोचन , केशिनी नाम की एक अनुपम सुन्दरी कन्या के स्वयंवर में विवाह की इच्छा से पहुँचा।केशिनी सुधन्वा नाम के ब्राह्मण से विवाह करना चाहती थी।केशिनी ने विरोचन से पूछा — विरोचन ! ब्राह्मण श्रेष्ठ होते हैं या दैत्य ? यदि ब्राह्मण श्रेष्ठ होते हैं , तो मैं ब्राह्मण पुत्र सुधन्वा से ही…
Gwalbal sang Dhenu Charawat Krishna.
श्यामसुन्दर अपने सखा से गैया चराते हुये कहते हैं, ‘ सखा सुबल, श्रीदामा, तुमलोग सुनो ! वृन्दावन मुझे बहुत अच्छा लगता है, इसी कारण मैं व्रज से यहाँ वन में गायें चराने आता हूँ।कामधेनु, कल्पवृक्ष आदि जितने वैकुण्ठ के सुख हैं,देवि लक्ष्मी के साथ वैकुण्ठ के उन सब सुखों को मैं भूल जाता हूँ।इस वृन्दावन…
Narad ji ki purv janam ki katha
नारदजी पूर्वजन्म में एक दासीपुत्र थे।उनकी माता भक्तों की जब सेवा करती थी, नारदजी भी उनके काम में सहायता करते थे।कभी- कभी माता की अनुपस्थिति में वे स्वयं भक्तों की सेवा करते रहते थे।नारदजी स्वयं कहते हैं — उच्छिष्टलेपाननुमोदितो द्विजै: सकृत्स्म भुंजे तदपास्तकिल्बिष: । एवं प्रवृत्तस्य विशुद्धचेतस- स्तद्धर्म एवात्मरुचि:…
Bhagwat Bhagwan Ki Hai Aarti ( भागवत् भगवान की है आरती )।
भागवत् भगवान की है आरती , पापियों को पाप से है तारती ।—२ ये अमर ग्रंथ , ये मुक्ति पंथ , ये पंचम वेद निराला । नव ज्योति जगाने वाला , हरि ज्ञान यही ,बरदान यही , जग के मंगल की आरती , पापियों को पाप से है तारती । भागवत् भगवान की…
Papa paiyaan, chalein kanhaiya…!!
नंद भवन के आँगन में श्यामसुन्दर ,अपने छोटे- छोटे चरणों से चलना सीख रहे हैं।मैया यशोदा कान्हा की अँगुली पकड़कर साथ – साथ घूम रही हैं।कान्हा के चलने से ,उनके छोटे छोटे पैंजनी के रुनझुन बजने की आवाज यशोदा मैया को हर्षित कर रही है।मोहन के कानों के कुंडल तथा भौंहों तक सुन्दर घुँघराले बालों…
Use Of Turmeric ( हल्दी के गुण )
हल्दी के आयुर्वेद में अनेक गुण बताये गये हैं।धार्मिक कार्यों में हल्दी को मंगलकारी बताया गया हैं कोई भी शुभ कार्य हल्दी के बिना सम्पन्न नहीं होता। इसके अतिरिक्त हल्दी सौंदर्यवर्धक रक्तशोधक तथा एंटिसेप्टिक होती है।आयुर्वेद में कफ, वात, सूजन, कृमि , पित्त और अपचन घाव खुजली रक्तशोधक, तथा त्वचा के रोग में भी हल्दी…
GovindDamodarStotram(गोविन्ददामोदरस्तोत्रम्।)
अग्रे कुरूणामथ पाण्डवानां दु:शासने-नाहृत – वस्त्र -केशा। कृष्णा तदाक्रोशदनन्यनाथा गोविन्द दामोदर माधवेति ।। (जब कौरव और पाण्डवों के सामने दु:शासन ने द्रौपदी के वस्त्र और बालों को पकड़ कर खींचा, तब अनन्य अनाथ द्रौपदी ने रोकर पुकारा — ‘हे गोविन्द ! हे दामोदर ! हे माधव!– श्रीकृष्ण विष्णो मधुकैटभारे भक्तानुकम्पिन् भगवन् मुरारे । त्रायस्व मां…
Maiya Mohi Daoo Bahut Khijayau.(मैया मोहे दाऊ बहुत खिजायौ।) सूरदासजी के पद ।
मैया मोहि दाऊ बहुत खिझायौ । मोसौं कहत मोल कौ लीन्हौ, तू जसुमति कब जायौ? कहा करौं इहि रिस के मारैं , खेलन हौं नहिं जात । पुनि-पुनि कहत कौन है माता , को है तेरौ तात ।। गोरे नंद जसोदा गोरी , तू कत स्यामल गात । चुटकी दै-दै ग्वाल नचावत , हँसत ,…