भागवत् भगवान की है आरती ,
पापियों को पाप से है तारती ।—२
ये अमर ग्रंथ , ये मुक्ति पंथ ,
ये पंचम वेद निराला ।
नव ज्योति जगाने वाला ,
हरि ज्ञान यही ,बरदान यही ,
जग के मंगल की आरती ,
पापियों को पाप से है तारती ।
भागवत् भगवान की है आरती ,
पापियों को पाप से है तारती।
ये शांतिगीत, पावन पुनीत,
पापों को मिटानेवाला ।
हरि दर्श दिखाने वाला ,
है सुख करनी ,ये दु:खहरनी,
ये मधूसुदन की आरती।
पापियों को पाप से है तारती।
भागवत् भगवान की है आरती,
पापियों को पाप से है तारती।
ये मधुर बोल, जग पंथ खोल,
सन्मार्ग दिखाने वाला ।
बिगड़ी को बनाने वाला,
श्रीराम यही, घनश्याम यही,
प्रभु के महिमा की आरती ।
पापियों को पाप से है तारती।
भगवत् भगवान की है आरती,
पापियों को पाप से है तारती।