नारदजी पूर्वजन्म में एक दासीपुत्र थे।उनकी माता भक्तों की जब सेवा करती थी, नारदजी भी उनके काम में सहायता करते थे।कभी- कभी माता की अनुपस्थिति में वे स्वयं भक्तों की सेवा करते रहते थे।नारदजी स्वयं कहते हैं — उच्छिष्टलेपाननुमोदितो द्विजै: सकृत्स्म भुंजे तदपास्तकिल्बिष: । एवं प्रवृत्तस्य विशुद्धचेतस- स्तद्धर्म एवात्मरुचि:…
Bhagwat Bhagwan Ki Hai Aarti ( भागवत् भगवान की है आरती )।
भागवत् भगवान की है आरती , पापियों को पाप से है तारती ।—२ ये अमर ग्रंथ , ये मुक्ति पंथ , ये पंचम वेद निराला । नव ज्योति जगाने वाला , हरि ज्ञान यही ,बरदान यही , जग के मंगल की आरती , पापियों को पाप से है तारती । भागवत् भगवान की…
Papa paiyaan, chalein kanhaiya…!!
नंद भवन के आँगन में श्यामसुन्दर ,अपने छोटे- छोटे चरणों से चलना सीख रहे हैं।मैया यशोदा कान्हा की अँगुली पकड़कर साथ – साथ घूम रही हैं।कान्हा के चलने से ,उनके छोटे छोटे पैंजनी के रुनझुन बजने की आवाज यशोदा मैया को हर्षित कर रही है।मोहन के कानों के कुंडल तथा भौंहों तक सुन्दर घुँघराले बालों…
Use Of Turmeric ( हल्दी के गुण )
हल्दी के आयुर्वेद में अनेक गुण बताये गये हैं।धार्मिक कार्यों में हल्दी को मंगलकारी बताया गया हैं कोई भी शुभ कार्य हल्दी के बिना सम्पन्न नहीं होता। इसके अतिरिक्त हल्दी सौंदर्यवर्धक रक्तशोधक तथा एंटिसेप्टिक होती है।आयुर्वेद में कफ, वात, सूजन, कृमि , पित्त और अपचन घाव खुजली रक्तशोधक, तथा त्वचा के रोग में भी हल्दी…
GovindDamodarStotram(गोविन्ददामोदरस्तोत्रम्।)
अग्रे कुरूणामथ पाण्डवानां दु:शासने-नाहृत – वस्त्र -केशा। कृष्णा तदाक्रोशदनन्यनाथा गोविन्द दामोदर माधवेति ।। (जब कौरव और पाण्डवों के सामने दु:शासन ने द्रौपदी के वस्त्र और बालों को पकड़ कर खींचा, तब अनन्य अनाथ द्रौपदी ने रोकर पुकारा — ‘हे गोविन्द ! हे दामोदर ! हे माधव!– श्रीकृष्ण विष्णो मधुकैटभारे भक्तानुकम्पिन् भगवन् मुरारे । त्रायस्व मां…
Maiya Mohi Daoo Bahut Khijayau.(मैया मोहे दाऊ बहुत खिजायौ।) सूरदासजी के पद ।
मैया मोहि दाऊ बहुत खिझायौ । मोसौं कहत मोल कौ लीन्हौ, तू जसुमति कब जायौ? कहा करौं इहि रिस के मारैं , खेलन हौं नहिं जात । पुनि-पुनि कहत कौन है माता , को है तेरौ तात ।। गोरे नंद जसोदा गोरी , तू कत स्यामल गात । चुटकी दै-दै ग्वाल नचावत , हँसत ,…
ShriKrishna aur RukminiJi Ka Vivah.
कुण्डिनपुर के राजा भीष्मक अपनी पुत्री रुक्मिणी का विवाह श्री कृष्ण से करना चाहते थे, परन्तु उनका बड़ा पुत्र रुक्मी श्रीकृष्ण का विरोधी था। वह शिशुपाल से अपनी बहिन रुक्मिणी का विवाह करना चाहता था।रुक्मिणीजी मन ही मन श्रीकृष्ण को अपना पति मान चुकि थी।रुक्मी के हठ के कारण राजा भीष्मक ने शिशुपाल से ही अपनी…
Shri Ram Katha (Short version )
मंगल भवन अमंगल हारी । द्रवउ सो दशरथ अजिर बिहारी ।। नीलाम्बुजश्यामलकोमलाड़्ग सीतासमारोपितवामभागम् । पाणौ महासायकचारूचापं नमामि रामं रघुवंशनाथम् ।। रामायण प्रभु श्रीराम की कथा है, जिन्हें श्रवण करने से या पाठ करने से पाप ताप संताप (त्रयताप ) का नाश होता है।रामायण को राम रूप भी कहा गया है।रामायण में सात…
Dhanyawad Prabhu (Prayer)
धन्यवाद प्रभु तुमने हमको , अपना ये अंश स्वीकार किया। आकार दिया, प्रकार दिया मन वाणी और विचार दिया, अपनी इस पावन सृष्टि में, लाकर जीवन साकार किया। धन्यवाद प्रभु तुमने हमको, अपने जैसे पितु मात दिये कुटुम्ब दिया, भोजन भी दिया , ममता और प्रीत अपार दिया , जलवायु ,अग्नि ,साधन से पोषित करके…
गोस्वामी तुलसीदासजी की संक्षिप्त जीवनी।
प्रयाग के पास चित्रकूट जिले में राजापुर नामक एक ग्राम है, वहाँ आत्माराम दूबे नाम के एक प्रतिष्ठित सरयूपारीण ब्राह्मण रहते थे।उनकी धर्मपत्नी का नाम हुलसी देवी था।संवत् १५५४ की श्रावण शुक्ला सप्तमी के दिन अभुक्त मूल नक्षत्र में इन्हीं भाग्यवान् दंपति के यहाँ बारह महीने तक गर्भ में रहने के पश्चात् गोस्वामी तुलसीदासजी का…