(तुलसीदासजी रचित भजन श्री रामजी की दयालुता का वर्णन करते हुए) Ram Bhajan
जब जानकीनाथ सहाय करें, तब कौन बिगाड़ करे नर तेरो ।
सूरज मंगल बुद्ध भृगुसुत, बुद्ध और गुरू सहायक तेरो ।
राहु केतु जहाँ गम्य नाही , संग शनीचर होत उचेरो ।
जब जानकीनाथ सहाय करें , तब कौन बिगाड़ करे नर तेरो ।
दुष्ट दुशासन , विमल द्रौपदी चीर उतार कुमंत्र है फेरो ,
जाकी सहाय करी करूणानिधि , बढ़ गये चीर अनंत घनेरो ।
जब जानकीनाथ सहाय करें , तब कौन बिगाड़ करे नर तेरो ।
जाकि सहाय करी करूणानिधि , ताकि जगत में भाग्य बढेरो ।
रघुबंशी संतन सुखदायी , तुलसीदास चरणन को चेरो ।
जब जानकीनाथ सहाय करें, तब कौन बिगाड़ करे नर तेरो ।