मेरो मन अनत कहाँ सुख पावै जैसे उड़े जहाज को पंछी फिरी जहाज पर आवै कमल नयन को छाड़ि महातम और देव को ध्यावै परम गंग को छाड़ि पियासौ दुरमति कूप खनावै जिहिं मधुकर अंबुज रस चाख्यौ क्यों करील फल खावै सूरदास प्रभू कामधेनु तजि छेरी कौन दुहावै Bansuri Bajaye…
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Kamal Nayan Hari Karo Kaleva (Soordas Ji ke Pad -१ )।
कमल नयन हरि करो कलेवा माखन रोटी सद्य जाम्यो दधि भाँति भाँति के मेवा खारिक दाख चिरौंजी किशमिश उज्जवल गरी बादाम सझरी सेव छुहारे पिस्ता जे तरबूजा नाम अरु मेवा बहु भाँति भाँति है षटरस के मिस्ठान सूरदास प्रभु करत कलेवा रीझे श्याम सुजान। Jevat Kanha NAND Ek Thaure (जेवत कान्हा नन्द इकठौरे) ।Surdas Jee…