कमल नयन हरि करो कलेवा
माखन रोटी सद्य जाम्यो
दधि भाँति भाँति के मेवा
खारिक दाख चिरौंजी किशमिश
उज्जवल गरी बादाम
सझरी सेव छुहारे पिस्ता
जे तरबूजा नाम
अरु मेवा बहु भाँति भाँति
है षटरस के मिस्ठान
सूरदास प्रभु करत कलेवा
रीझे श्याम सुजान।
Jevat Kanha NAND Ek Thaure (जेवत कान्हा नन्द इकठौरे) ।Surdas Jee Ke Pad -2…………………………………………
जेवत कान्ह नन्द एक ठौरे
कछु खात लपटात दोउ कर
बाल केलि अति भोरे
बड़ा कौर मेलत मुख भीतर
मिरिच दसन टकटौरे
तीछन लगी नैन भरी आये
रोवत बहार दौरे
फूकत बदन रोहिणी ठाढ़ी
लिये लगाई अँकोरे
सूर श्याम को मधुर कौर दे
कीन्हे तात निहोरे।जेवत कान्ह नन्द एक ठौरे
कछु खात लपटात दोउ कर
बाल केलि अति भोरे
बड़ा कौर मेलत मुख भीतर
मिरिच दसन टकटौरे
तीछन लगी नैन भरी आये
रोवत बहार दौरे
फूकत बदन रोहिणी ठाढ़ी
लिये लगाई अँकोरे
सूर श्याम को मधुर कौर दे
कीन्हे तात निहोरे।
Maiya Mohi Daoo Bahut Khijayo(मैया मोहि दाउ बहुत खिजायो)।Surdas Jee Ke Pad-3……………………………………
मैया मोहि दाऊ बहुत खिजायो
मोसो कहत मोल को लीन्हौं
तू जसुमति कब जायो
कहा करौ इहि रिस के मारै
खेलन हौ नहीं जात
पुनि पुनि कहत कौन है माता
को है तेरो तात
गोरे नन्द जसोदा गोरी
तू कत श्यामल गात
चुटकी दै दै ग्वाल नचावत
हसत सबै मुस्कात
तू मोहि कौ मारन सीखी
दाउहि कबहु न खीजै
मोहन मुख रिस की ये बातें
जसुमति सुनी सुनी रीझे
सुनहु कान बलभद्र चबाई
जनमत ही को धूत
सूर श्याम मोहि गोधन की सौं
हों माता तू पूत
Maiya Ri Mohe Makhan Bhawe(मैया री मोहे माखन भावे)Surdas Jee Ke Pad-4…………………………………………..
जो मेवा पकवान कहती तू
मोहि नहि रूचि आवै
ब्रज जुवति एक पाछै ठाढ़ी
सुनत श्याम की बात
मन मन कहती कबहुँ अपने घर
देखौं माखन खात
बैठे जाई मथनिया कै ढिग
मैं तब रहौं छपानी
सूरदास प्रभू अंतर्यामी
ग्वालिन मन की जानी।
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(Ref. Sur Sagar Saar)