अग्रे कुरूणामथ पाण्डवानां दु:शासने-नाहृत – वस्त्र -केशा। कृष्णा तदाक्रोशदनन्यनाथा गोविन्द दामोदर माधवेति ।। (जब कौरव और पाण्डवों के सामने दु:शासन ने द्रौपदी के वस्त्र और बालों को पकड़ कर खींचा, तब अनन्य अनाथ द्रौपदी ने रोकर पुकारा — ‘हे गोविन्द ! हे दामोदर ! हे माधव!– श्रीकृष्ण विष्णो मधुकैटभारे भक्तानुकम्पिन् भगवन् मुरारे । त्रायस्व मां…
Maiya Mohi Daoo Bahut Khijayau.(मैया मोहे दाऊ बहुत खिजायौ।) सूरदासजी के पद ।
मैया मोहि दाऊ बहुत खिझायौ । मोसौं कहत मोल कौ लीन्हौ, तू जसुमति कब जायौ? कहा करौं इहि रिस के मारैं , खेलन हौं नहिं जात । पुनि-पुनि कहत कौन है माता , को है तेरौ तात ।। गोरे नंद जसोदा गोरी , तू कत स्यामल गात । चुटकी दै-दै ग्वाल नचावत , हँसत ,…
ShriKrishna aur RukminiJi Ka Vivah.
कुण्डिनपुर के राजा भीष्मक अपनी पुत्री रुक्मिणी का विवाह श्री कृष्ण से करना चाहते थे, परन्तु उनका बड़ा पुत्र रुक्मी श्रीकृष्ण का विरोधी था। वह शिशुपाल से अपनी बहिन रुक्मिणी का विवाह करना चाहता था।रुक्मिणीजी मन ही मन श्रीकृष्ण को अपना पति मान चुकि थी।रुक्मी के हठ के कारण राजा भीष्मक ने शिशुपाल से ही अपनी…
Shri Ram Katha (Short version )
मंगल भवन अमंगल हारी । द्रवउ सो दशरथ अजिर बिहारी ।। नीलाम्बुजश्यामलकोमलाड़्ग सीतासमारोपितवामभागम् । पाणौ महासायकचारूचापं नमामि रामं रघुवंशनाथम् ।। रामायण प्रभु श्रीराम की कथा है, जिन्हें श्रवण करने से या पाठ करने से पाप ताप संताप (त्रयताप ) का नाश होता है।रामायण को राम रूप भी कहा गया है।रामायण में सात…
Dhanyawad Prabhu (Prayer)
धन्यवाद प्रभु तुमने हमको , अपना ये अंश स्वीकार किया। आकार दिया, प्रकार दिया मन वाणी और विचार दिया, अपनी इस पावन सृष्टि में, लाकर जीवन साकार किया। धन्यवाद प्रभु तुमने हमको, अपने जैसे पितु मात दिये कुटुम्ब दिया, भोजन भी दिया , ममता और प्रीत अपार दिया , जलवायु ,अग्नि ,साधन से पोषित करके…
गोस्वामी तुलसीदासजी की संक्षिप्त जीवनी।
प्रयाग के पास चित्रकूट जिले में राजापुर नामक एक ग्राम है, वहाँ आत्माराम दूबे नाम के एक प्रतिष्ठित सरयूपारीण ब्राह्मण रहते थे।उनकी धर्मपत्नी का नाम हुलसी देवी था।संवत् १५५४ की श्रावण शुक्ला सप्तमी के दिन अभुक्त मूल नक्षत्र में इन्हीं भाग्यवान् दंपति के यहाँ बारह महीने तक गर्भ में रहने के पश्चात् गोस्वामी तुलसीदासजी का…
भेद नहीं करता मेरा कान्हा, है परखता भाव ही।
भेद नहीं करता मेरा कान्हा, है परखता भाव ही । जिस हाथ से माखन खाया, उस हाथ से ही तूने माटी भी , जिस स्वाद से छप्पन भोग लिये, उसी स्वाद से साग और रोटी भी , जिस मौज से खेले ग्वाले संग , उसी मौज से मारे असुर को भी , भेद नहीं करता…
Yashoda Tori Bhagya Ki Kahi Na Jaye.(यशोदा तोरी भाग्य की कही न जाए )
अहा भाग्य की कहि न जाई । यशोदा तोरी भाग्य की कहि न जाई। जो मूरत ब्रह्मादिक , मुनि दुर्लभ , सो प्रगटे हैं आई ,भाग्य की कहि न जाई । यशोदा तोरी भाग्य की कहि न जाई । शिव नारद सनकादि महामुनि , मिलवे करत उपाई । ते नंदलाल धूलि धुसरित हैं यशोदा कण्ठ…
Karwa chauth Vrat Katha.
कार्तिक मास में कृष्णपक्ष के चतुर्थी को करवा चौथ मनाया जाता है।इस दिन गणेश जी का पूजन होता है ।इस दिन सुहागन स्त्रीयाँ अपने पति की लम्बी आयु के लिये व्रत रखती है।प्राचीन काल में द्विज नामक ब्राह्मण के सात पुत्र और एक पुत्री थी जिसका नाम वीरावती था।वीरावती विवाह के बाद प्रथम बार करवा…
BhaiDooj Ki Katha ( yam Dwitia ) .
भगवान् सूर्यनारायण की पत्नी का नाम छाया था। उन्हीं की कोख से यमराज तथा यमुना का जन्म हुआ था ।यमुना अपने भाई यमराज से बड़ा स्नेह करती थी। वह भाई से हमेशा निवेदन करती थी कि इष्ट मित्रों सहित उसके घर आकर भोजन करे। अपने कार्य में व्यस्त यमराज बात को टालता रहा। कार्तिक शुक्ल…