अहा भाग्य की कहि न जाई ।
यशोदा तोरी भाग्य की कहि न जाई।
जो मूरत ब्रह्मादिक , मुनि दुर्लभ ,
सो प्रगटे हैं आई ,भाग्य की कहि न जाई ।
यशोदा तोरी भाग्य की कहि न जाई ।
शिव नारद सनकादि महामुनि , मिलवे करत उपाई ।
ते नंदलाल धूलि धुसरित हैं यशोदा कण्ठ लपटाई ।
भाग्य की कहि न जाई ,यशोदा तोरी भाग्य की कहि न जाई ।
रत्न जटित पौढ़ाय पालने, मदन देख मुसकाई।
झूलो मेरे लाल , जाऊ बलिहारी, देखि देखि मुसकाई।
परमानंद बलि जाई ,यशोदा तोरी भाग्य की कहि न जाई।
हाँ भाग्य की कहि न जाई।