Shree Jee सपने को साकार बनाया, करके कृपा मुझे पास बुलाया , मुझ अनाथ को श्रीनाथ ने , देकर प्रेम सनाथ बनाया , अपने पतिदेव के साथ चली , मेरी नैया पार लगी । झाँकी करने को आज मैं , श्रीजी के द्वार चली । बहुत दिनों के बाद , मेंरी…
एलोवेरा के गुण
१- घृतकुमारी ( एलोवेरा ) के गुदे को निकालकर ,टुकड़े बनाकर पकाकर खाने से सन्धिवात, वायु विकार , पेट व यकृत् के विकार का नाश होता है। २- कटे हुए या जले हुए स्थान पर उसी समय एलोवेरा जेल या रस लगाने से फफोला नहीं पड़ता, रक्त बहना रुक जाता है तथा जख्म…
अजवायन के गुण ।
अजवाइनको पीस कर त्वचा पर लगाने से त्वचा रोग दूर होता है। २- फोड़ा फुन्सी में अजवाइन को पीस कर नींबू के साथ लगाने से भी आराम मिलता है। ३- पित्त रोग में अजवाइन गुड़ लेने से पित्त रोग ठीक हो जाता है। ४- यदि सर्दी लगी हो तो अदरक का रस शहद के साथ…
ShreeRadhaRani Tatha Unki Asht Sakhiyan
श्रीराधारानी – चरण बंदौं बारंबार । जिन के कृपा कटाच्छ तैं रीझैं नंदकुमार ।। जिनके पद – रज – परस तें स्याम होयँ बेभान । बंदौं तिन पद – रज -कननि मधुर रसनि के खान।। जिनके दरसन हेतु नित , बिकल रहत घनस्याम । तिन चरनन मैं बसै मन मेरौ आठौं याम ।।…
श्री राधा जी की आरती- SreeRadhaJee Ki Aarti.
आरती श्रीबृषभानु लली की । सत – चित – आनंद- कंद – कली की ।। टेक ।। भयभंजिनि भव – सागर – तारिनि , पाप – ताप – कलि – कल्मष – हारिनि , दिब्यधाम – गोलोक – बिहारिनि , जनपालिनि जगजननि भलीकी ।। १…
Short Story Of Maharshi Valmeekijee. ( महर्षि वाल्मीकिजी की संक्षिप्त कथा ।)
एक समय की बात है , महर्षि वाल्मीकि वन में विचरण कर रहे थे । वन की शोभा अत्यन्त रमणीय थी ।वन में तरह – तरह के जीव – जन्तु तथा पक्षियों का बसेरा था।महर्षि जहाँ खड़े थे , उनके पास ही दो सुन्दर पक्षी स्नेहपूर्ण भाव से एक दूसरे के साथ रमण कर रहे…
Bhakt prahlad Ki Nyaypriya Katha. ( भक्त प्रह्लाद की न्यायप्रिय कथा ।)
प्रह्लाद पुत्र विरोचन , केशिनी नाम की एक अनुपम सुन्दरी कन्या के स्वयंवर में विवाह की इच्छा से पहुँचा।केशिनी सुधन्वा नाम के ब्राह्मण से विवाह करना चाहती थी।केशिनी ने विरोचन से पूछा — विरोचन ! ब्राह्मण श्रेष्ठ होते हैं या दैत्य ? यदि ब्राह्मण श्रेष्ठ होते हैं , तो मैं ब्राह्मण पुत्र सुधन्वा से ही…
Gwalbal sang Dhenu Charawat Krishna.
श्यामसुन्दर अपने सखा से गैया चराते हुये कहते हैं, ‘ सखा सुबल, श्रीदामा, तुमलोग सुनो ! वृन्दावन मुझे बहुत अच्छा लगता है, इसी कारण मैं व्रज से यहाँ वन में गायें चराने आता हूँ।कामधेनु, कल्पवृक्ष आदि जितने वैकुण्ठ के सुख हैं,देवि लक्ष्मी के साथ वैकुण्ठ के उन सब सुखों को मैं भूल जाता हूँ।इस वृन्दावन…
Narad ji ki purv janam ki katha
नारदजी पूर्वजन्म में एक दासीपुत्र थे।उनकी माता भक्तों की जब सेवा करती थी, नारदजी भी उनके काम में सहायता करते थे।कभी- कभी माता की अनुपस्थिति में वे स्वयं भक्तों की सेवा करते रहते थे।नारदजी स्वयं कहते हैं — उच्छिष्टलेपाननुमोदितो द्विजै: सकृत्स्म भुंजे तदपास्तकिल्बिष: । एवं प्रवृत्तस्य विशुद्धचेतस- स्तद्धर्म एवात्मरुचि:…
Bhagwat Bhagwan Ki Hai Aarti ( भागवत् भगवान की है आरती )।
भागवत् भगवान की है आरती , पापियों को पाप से है तारती ।—२ ये अमर ग्रंथ , ये मुक्ति पंथ , ये पंचम वेद निराला । नव ज्योति जगाने वाला , हरि ज्ञान यही ,बरदान यही , जग के मंगल की आरती , पापियों को पाप से है तारती । भागवत् भगवान की…