कुरुक्षेत्र के युद्ध में , दुर्योधन अपनी सेना को कमज़ोर पड़ता देख ,भीष्म पितामह के पास गया
और पितामह को पांडवों पर पक्षपात का आरोप लगाया ।दुर्योधन ने पितामह से काफ़ी कड़े शब्दों
में कहा कि आप पांडवों को मारना नहीं चाहते हैं क्योंकि वे आपके प्रिय हैं। पितामह को दुर्योधन
के कटु वचन तथा अपनें उपर लगा लांछन सुनकर अच्छा नहीं लगा और उन्होंने प्रण ले लिया कि
अगले दिन युद्ध में पाँचो पांडवों का वध कर देगें । यह समाचार सुनकर पांडव घबरा गये ,और श्री कृष्ण
के पास समाधान के लिये गये।
श्री कृष्ण द्रौपदी को साथ लेकर अर्ध रात्रि के समय भीष्म पितामह के पास गये । कृष्ण ने
द्रौपदी से कहा, अपने पाँव की जूती यहीं उतार कर अंदर जाओ और पितामह के चरणों में
झुक कर सौभाग्यवती होने काआशीर्वाद ,वचन में माँग लो जिससे पितामह पांडव वध का प्रण
त्याग दें। श्री कृष्ण की इच्छानुसार द्रौपदी पितामह के कक्ष में गयी । पितामह उस समय प्रभु चरणों
में ध्यान लगाये समाधि में बैठे थे।द्रोपदी ने जाकर पितामह के चरण पकड़ लिये तथा आशीर्वाद माँगा।
पितामह को लगा दुर्योधन की पत्नी आशीर्वाद लेने आयी है, युद्ध में कौरवों की दशा ठीक नहीं है इसलिये
घबराकर मेंरे पास आई है।पितामह ने सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद दिया।द्राैपदी ने चरण नहीं छोड़े।
पितामह ने पुनह सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद दिया। इस तरह द्रौपदी ने पितामह के चरण तब तक नहीं
छोड़े जब तक पितामह ने पाँच बार सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद उन्हें नहीं दे दिया।
का आशीर्वाद दिया है , परन्तु कल युद्ध में मेरे एक भी पति की मृत्यु हुइ तो आपका आशीर्वाद सफल
सिद्ध नहीं होगा।
छूट गयी। पितामह समझ गये कि सामने द्रौपदी है तथा उसे लाने वाला कोई और नहीं मेंरे प्रण का
रखवाला श्रीकृष्ण हैं। श्रीकृष्ण के सिवा ऐसी युक्ति तथा चतुराई कोई और नहीं कर सकता । पितामह
ने कहा , बेटी तुम्हें लाने वाला वो छलिया कहाँ है? उम्र में पुत्र तथा पौत्रों वाला हो गया है,फिर भी चोरी
की आदत नहीं गयी है। युद्ध में वो माखन चोर नित नई नीतियाँ बनाता है। द्रौपदी से पितामह ने कहा ,
बेटी तुमने हमारे कुल का यश बढ़ाया है यह कहकर वो श्रीकृष्ण से मिलने बाहर की तरफ़ दौड़े ।
बाहर आकर देखा तो वहाँ का दृश्य बड़.ही निराला था, श्रीकृष्ण अपने पीताम्बर से घुंघट ओढ़े,
तथा बग़ल में द्रोपदी के पाँव की जूती दबाये खड़े थे।पितामह को देखकर मंद मंद मुस्कुरा रहे थे।
पितामह ने द्रौपदी से कहा , बेटी तुम्हारे पतियों का शत्रु युद्ध में बाल भी बाँका नहीं कर सकेगा क्योंकि
तुम्हारे साथ विश्व रचाने वाला स्वयं युद्ध में सारथी बनकर मार्गदर्शन कर रहा है ,इसलिये मेंरा भी आशीर्वाद
तुम्हारे साथ है।