तेरे दर को छोड़ के किस दर जाऊँ मैं,
देख लिया मैंने जग सारा,
तेरे जैसा मीत नहीं,
तेरे जैसा सबल सहारा,
तेरे जैसी प्रीत नहीं ।
किन शब्दों में आपकी,
महिमा गाऊँ मैं ।
तेरे दर को छोड़ के किस दर जाऊँ मैं ….
अपनें पथ पर आप चलूँ मैं,
मुझमें इतना ज्ञान नहीं,
हूँ मतिमंद, नयन का अँधा,
भले बुरे की पहचान नहीं ।
हाथ पकड़ कर ले चलो,
ठोकर खाऊँ मैं ।
तेरे दर को छोड़ के किस दर जाऊँ मैं …
Reference:
Hari Om Sharan