गोपेश गोपिकाकाकान्त राधाकान्त नमोस्तुते ।।
( हे कृष्ण ! आप दुखियों के सखा तथा सृष्टि के उदगम हैं। आप गोपियों के स्वामी तथा राधारानी के प्रेमी हैं। मैं आपको सादर प्रणाम करता हूँ ।)
तप्तकांचन गौरांगि राधे वृन्दावनेश्वरी ।
वृषभानु सुते देवि प्रणमामि हरि प्रिये ।।
(मैं उन राधा रानी को प्रणाम करता हूँ जिनकी शारीरिक कांति पिघले सोने के सदृश है,
जो वृन्दावन की महारानी हैं। राजा वृषभानु की पुत्री हैं और भगवान कृष्ण को अत्यन्त प्रिय हैं।)
श्री कृष्ण – चैतन्य प्रभू-नित्यानंद ।
श्री अद्वैत गदाधर श्री वासादि गौर भक्तवृन्द ।।
( श्री कृष्ण चैतन्य, प्रभु नित्यानंद , श्री अद्वैत गदाधर , श्रीवास आदि समस्त
भक्तों को सादर प्रणाम करता हूँ । )
वान्छा कल्पतरूभ्यश्च कृपासिन्धुभ्य एव च ।
पतितानां पावनेभ्यो वैष्णवेभ्यो नमो नम: ।।
( मैं भगवान के समस्त वैष्णव भक्तों को सादर नमस्कार करता हूँ ।
वे कल्पवृक्ष के समान सबों की इच्छाएँ पूर्ण करने में समर्थ हैं, तथा
पतित जीवात्माओं के प्रति अत्यंत दयालु हैं। )
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे ।
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ।।