सजन सुधि ज्यों जाने त्यों लीजै।
तुम बिन मेंरे और न कोई , कृपा रावरी कीजै ।।
धौंस न भूष रैन नहिं निद्रा , यह तन पल – पल छीजै ।
मीरा के प्रभु गिरिधर नागर ,अब मिलि बिछुरनि नहिं कीजै।।