साधक क्रोध पर नियंत्रण कैसे रखे? परम पुज्य प्रेमानंद जी महाराज बताते हैं की साधक को क्रोध का वेग दांत पीस के सह लेना चाहिए और नाम जप पर ध्यान लगाना चाहिए|क्रोध के मूल में काम है और नाम जप से ही विजय प्राप्त होगी |(वीडियो में 13:16 min से सुनें)
Premanand ji Maharaj – Bhakti mein din charya
भक्ति मार्ग में साधक की दिनचर्या कैसी होनी चाहिए? परम पुज्य प्रेमानंद जी महाराज बताते हैं की साधक को अपना आहार, आचरण और संग ठीक रखने पर ध्यान देना चाहिए तभी उनकी पारमार्थिक मार्ग पर उन्नती होगी|ध्यान देने योग्य बात ये भी है कि साधक अपने देखने सुनने और कहने पर संयम रखें |(वीडियो में…
Premanand ji Maharaj – Grahasta sadhak kya karein?
Premanand ji Maharaj – Maya ka Prashna
maya ke prashna kathin hain parantu is samasya ka hal bhi hai
Premanand ji Maharaj – Pralobhan aur Bhaya Dharm se Bhrasta kar deta hai
परम पुज्य प्रेमानंद जी महाराज साधक के लिए ध्यान देने योग्य मुख्य बात बताते हुए कहते हैं कि -धर्म से भ्रष्ट होने के मुख्य कारण प्रलोभन और भय हैं |उपासक यदि प्रलोभन और भय में नहीं फसे तो साधना में आगे बढ़ जाता है | प्रलोभन 3 प्रकार के होते हैं- पहली घाटी काम की…
राधे कृष्ण
गोवर्धन पूजा की शुभकामनाएं
ॐ तुभ्यं नमामि नारायणाय
ॐ तुभ्यं नमामि नारायणाय तुभ्यं नमामि जगदीश्वराय । हे लक्ष्मीकांतम तुभ्यं नमामि हे शांताकारम तुभ्यं नमामि ।।
नवधा भक्ति के स्वरुप
नवधा भगति कहउँ तोहि पाहीं। सावधान सुनु धरु मन माहीं॥प्रथम भगति संतन्ह कर संगा। दूसरि रति मम कथा प्रसंगा॥ गुर पद पंकज सेवा तीसरि भगति अमान।चौथि भगति मम गुन गन करइ कपट तजि गान॥ मंत्र जाप मम दृढ़ बिस्वासा। पंचम भजन सो बेद प्रकासा॥छठ दम सील बिरति बहु करमा। निरत निरंतर सज्जन धरमा॥ सातवँ सम…
जय जय सुरनायक – Jai Jai Surnayak (Vishnu Bhajan)
Source : तुलसीदास रचित रामचरित मानस ( गोरखपुर प्रेस) § ब्रह्मा जी और अन्य देव विष्णु भगवान की स्तुति करते हैं § जय जय सुरनायक जन सुखदायक प्रनतपाल भगवंता। गो द्विज हितकारी जय असुरारी सिंधुसुता प्रिय कंता॥ पालन सुर धरनी अद्भुत करनी मरम न जानइ कोई। जो सहज कृपाला दीनदयाला करउ अनुग्रह सोई॥ … जय…
जब जब होता नाश धरम का और पाप बढ़ जाता है (correct lyrics)
जब जब होता नाश धरम का और पाप बढ़ जाता है तब लेते अवतार प्रभु यह विश्व शान्ति पाता है ।। जब कंस के अत्याचारों से यह भूमंडल बेहाल हुआ, और विप्र संत त्यागी बैरागी का पापी महाकाल हुआ ।। जब पृथ्वी के हर आँसू पर टुकड़े टुकड़े पाताल हुआ, तब गर्भ से सती देवकी…