मेरा बाँका कन्हैया, दुलारा कन्हैया, सबकी आँखों का तारा कन्हैया। हे देवकी नंदन, जशोमति लाल कन्हैया। मैं जी रही थी जीवन। कुछ इस तरह अपनी, उदास और निराशा भरी,बेनाम जिन्दगी। थाम कर ऊँगली मेरी, मुझे आगे को बढ़ाया , मेंरे थके हुये जीवन में,फिर से बहार आया। तुम्हारी एक नज़र…