आपत्सु मग्न: स्मरणं त्वदीयं । करोमि दुर्गे करूणार्णवेशि । नैतच्छठत्वं मम भावयेथा: । क्षुधातृषार्ता जननीं स्मरन्ति ।। हे दुर्गे! हे दयासागर महेश्वरी ! जब मैं किसी विपत्ति में पड़ता हूँ , तो तुम्हारा ही स्मरण करता हूँ । इसे तुम मेरी धृष्टता मत समझना , क्योंकि भूखे – प्यासे बालक अपनी माँ…
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माँ से क्षमा प्रार्थना ।
आपत्सु मग्न: स्मरणं त्वदीयं । करोमि दुर्गे करूणार्णवेशि । नैतच्छठत्वं मम भावयेथा: । क्षुधातृषार्ता जननीं स्मरन्ति ।। हे दुर्गे! हे दयासागर महेश्वरी ! जब मैं किसी विपत्ति में पड़ता हूँ , तो तुम्हारा ही स्मरण करता हूँ । इसे तुम मेरी धृष्टता मत समझना , क्योंकि भूखे – प्यासे बालक अपनी माँ…