अंबिके जगदम्बिके अब तेरा ही आधार है ,
जिसने ध्याया तुझको मैया , उसका बेड़ा पार है।
नंगे पग तेरे दर पे मईया अकबर आया,
सोने का छत्र माँ उसने चढ़ाया ।
पूजा किया माँ उसने तेरी ,तू शक्ति का अवतार है,
जिसने ध्याया तुझको मैया , उसका बेड़ा पार है ।अंबिके……….
पान सुपारी ध्वजा नारियल लेकर भेंट चढ़ाऊँ ,
हाथ जोड़कर विनती करूँ माँ , तुझको ही मनाऊँ ।
दर पे आये भक्तों ने बोली जय-जयकार है ,
जिसने ध्याया तुझको मैया उसका बेड़ा पार है।अंबिके………….
दर पे खड़े सवाली भर दे ,मेरी झोली खाली ,
तेरा वचन न जाये खाली , जय हो मैया शेरां वाली ,
कर दे कृपा मेहरां वाली , माता तू बड़ी दयाल है,
जिसने ध्याया तुझको मैया , उसका बेड़ा पार है ।अंबिके……….
धर्म भवन जागरण में मैया , तुमको आना है,
सब भक्तों ने मईया तेरा दर्शन पाना है ।
जल्दी से अब आजा मईया , तेरा इन्तजार है ,
जिसने ध्याया तुझको मैया , उसका बेड़ा पार है ।अंबिके………………