या कुन्देन्दु तुषार धवला या शुभ्रवस्त्रावृता ।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना ।।
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिमिर्देवै: सदा वंदिता ।
सा माम पातु सरस्वती भगवती नि:शेषजाड्यापहा ।।
ज्ञान दो,ज्ञानदो, हमें ज्ञान दो, ज्ञान दो।
हे ब्रह्मा की सरस्वती,विष्णु की वैष्नवी,शक्ति, शिव शंभु की,
हे शारदे भगवती, श्री चरणों की छाँव में स्थान दो ।
ज्ञान दो, ज्ञान दो , हमें ज्ञान दो, ज्ञान दो ।
हम जन्में मानव होकर
जन्मों की त्रुटियाँ खोकर ।
हे मातु कृपा कर देना,
हमें फिर गुण-ज्ञान सँजोकर।
हम ध्यान तुम्हारा धरते हैं ,
विनती पे हमारी ध्यान दो।
ज्ञान दो, ज्ञान दो, हमें ज्ञान दो, ज्ञान दो।
हम आयु में बढ़ गये आगे ,
और ज्ञान में रह गये पीछे ।
गुण ज्ञान कला विद्या सब ,
इन पूज्य पदों के नीचे ।
वर पुत्र तुम्हारे कहलायें ,
हमें कुछ ऐसी पहचान दो ।
ज्ञान दो, ज्ञान दो, हमें ज्ञान दो, ज्ञान दो