सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम् ।
उज्जयिन्यां महाकालमोंकारममलेश्वरम् ।।
परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशंकरम् ।
सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने ।।
वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमी तटे ।
हिमालये तु केदारं घुश्मेशं च शिवालये ।।
एतानि ज्योतिर्लिंगानि सायं प्रात: पठेन्नर: ।
सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति ।।
( १) श्री सोमनाथ मंदिर –गुजरात के सौराष्ट्र प्रदेश ( काठियावाड़ ) में विराजमान हैं।
(२) श्री मल्लिकार्जुन मंदिर-श्री शैल पर्वत पर , जिसे दक्षिन का कैलाश कहते हैं।यह आन्ध्रप्रदेश में हैं।
(३) श्री महाकालेश्वर मंदिर— श्री महाकालेश्वर मंदिर क्षिप्रा नदी के तट पर उज्जैन नगर में विराजमान हैं।
(४ ) ओंकारेश्वर तथा अमलेश्वर मंदिर— यह ज्योतिलिंग भी उज्जैन में ही विराजमान हैं। ओंकारेश्वर तथा अमलेश्वर एक ही लिंग के दो पृथक पृथक लिंग स्वरूप हैं।
( ५) वैद्यनाथ मंदिर ——-इस मंदिर के बारे मे लोगों के मत भिन्न भिन्न हैं। कुछ लोग हैदराबाद के परलीग्राम में श्री वैद्यनाथ नामक ज्योतिर्लिंग को बताते हैं। वहीं कुछ लोगों का कहना है, कि जसीडीह स्टेशन (जो अब झारखंड के अन्तर्गत है ) के पास श्री वैद्यनाथ मंदिर ही वास्तविक ज्योतिर्लिंग हैं।
( ६ ) श्री भीमशंकर मंदिर—— यह मंदिर नासिक से लगभग १२० मील दूर महाराष्ट्र में बिराजमान हैं।
( ७ ) सेतुबन्ध पर श्री रामेश्वर मंदिर—-यह मंदिर तमिलनाडु में हैं।
( ८ )श्री नागेश्वर मंदिर——-दारुकावन में श्री नागेश्वर मंदिर हैं। नागेश्वर मंदिर के बारे में भी लोगों के मत अलग-अलग है।कुछ लोग द्वारिका के नागेश्वर मंदिर को बताते हैं तो कुछ का कहना है कि महाराष्ट्र में जागेश्वर मंदिर हैं वहीं नागेश्वर ज्योतिलिंग मंदिर हैं।
( ९ ) श्री विश्वनाथ मंदिर——वाराणसी ( काशी ) में श्री विश्वनाथ मंदिर हैं।
( १० ) श्री त्रयम्बकेश्वर मंदिर—–नासिक में पंचवटी से १८ मील की दूरी पर ब्रह्मगिरि के निकट गोदावरी के किनारे महाराष्ट्र में हैं।
( ११ ) केदारनाथ मंदिर—— हिमालय पर केदार नामक श्रृंग पर स्थित हैं श्री केदारनाथ मंदिर जो उत्तराखंड में हैं।
( १२ ) श्री घुश्मेश्वर मंदिर— श्री घुश्मेश्वर को घुसृणेश्वर मंदिर भी कहा जाता है। यह शिवालय में स्थित है। यह ज्योतिलिंग मंदिर औरंगाबाद , महाराष्ट्र मेंहैं।
जो मनुष्य प्रतिदिन प्रात:काल और संन्ध्या के समय इन बारह ज्योतिर्लिंगों का नाम लेता है, उसके सात जन्मों का किया हुआ पाप इन लिंगों के स्मरण मात्र से मिट जाता है।