नाम तुम्हारा तारण हारा, कब तेरा दर्शन होगा,
जिसकी रचना इतनी सुंदर , वो कितना सुंदर होगा।
नाम तुम्हारा तारण हारा, कब तेरा दर्शन होगा।
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सुर नर मुनि जन जिन चरणों में निश दिन ध्यान लगाते हैं,
जो भी तुम्हारे दर पे आते हैं , मन वाँछित फल पाते हैं,
आत्म निधि को पाने हेतु, दर पे तेरे आना होगा ,
जिसकी रचना इतनी सुंदर , वो कितना सुंदर होगा ।
नाम तुम्हारा तारण हारा, कब तेरा दर्शन होगा।
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दीन दयाल दया के सागर , जग में तुम्हारा नाम है ,
तुम बिन मेरे बालकृष्ण अब , कोई नहीं हमारा है ,
(आत्मनिधि को पाने हेतु )भवसागर पार करने हेतु तेरा ही शरणा होगा ,
जिसकी रचना इतनी सुंदर , वो कितना सुंदर होगा ।
नाम तुम्हारा तारण हारा, कब तेरा दर्शन होगा।
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