उठ जाग मुसाफ़िर भोर भइ , अब रैन कहाँ जो सोवत हैं।
जो सोबत हैं वो खोबत हैं , जो जागत हैं वो पावत हैं। उठ जाग…
जो कल करे सो आज करले , जो आज करे सो अब करले ,
जब चिड़ियन खेती चुग डाली , फिर पछतायत क्या होवत हैं ।उठ जाग़……
उठ नींद से अँखियाँ खोल जरा , और अपने प्रभु से ध्यान लगा ,
ये प्रीत करन की रीत नहीं , प्रभु जागत हैं तू सोवत है ।उठ जाग…..
नादान भुगत करनी अपनी ,ओ पापी पाप में चैन कहाँ ,
जब पाप की गठरी शीश धरी , फिर शीश पकड़ क्यों रोवत हैं।
उठ जाग मुसाफिर भोर भइ , अब रैन कहाँ जो सोबत हैं ।
Side note : My dadaji (grandfather) used to sing this bhajan every morning and was very fond of this bhajan. He used to wake up his kids in the morning by singing this bhajan .. Jo sovat hai wo khovat hain 🙂