मेरे राघव जी उतरेंगे पार हो , गंगा मैंया धीरे बहो ।
धीरे बहो धीरे बहो हौले बहो ,गंगा मैंया धीरे बहो ।
मेंरे प्रभू जी उतरेंगे पार हो , गंगा मैंया धीरे बहो ।
आज सफल हुये नयन हमारे, प्रभू जी विराजे हैं नाव हमारे-२
ये तो जग के पालनहार ,गंगा मैंया धीरे बहो
मेंरे प्रभू जी उतरेंगे पार हो ,गंगा मैंया धीरे बहो ।
भव सरिता के खेवनहारे , आज हमारे नाव पधारे ।—२
ये तो दशरथ राजकुमार ,गंगा मैंया धीरे बहो ।
मेंरे राघव जी उतरेंगे पार हो, गंगा मैंया धीरे बहो ।
सीता लखन ,प्रभू पार उतारो, बिगड़ी जनम आगे की सुधारो।——२
ये तो रघुबर प्राणाधार ,गंगा मैंया धीरे बहो।
मेंरे राघव जी उतरेंगे पार हो ,गंगा मैंया धीरे बहो।
केवट उतरी दंडबत कीना, प्रभू उतराई मणि मुद्रिका दीना।
कहें कृपालु लेलो उतराई, केवट चरण पकड़ अकुलाई ।
अब कछु नाथ न चाहिये मोरे, दीन दयालु अनुग्रह तोरे।
फिरती बार मैं जो कछु पावा ,समझ प्रसाद मैं सिर धरि पावा।
मेंरे राघव जी उतरेंगे पार हो, गंगा मैंया धीरे बहो—-२
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