कैलाश के निवासी नमों बार -बार हूँ,
आयो शरण तिहारी , भोले तारो-तारो तुम।
कैलाश के निवासी …………………..
भक्तों को कभी तूने शिव निराश न किया,
माँगा जिन्होंने जो भी बरदान दे दिया,
बड़ा ही तेरा दायजा, बड़े दातार तुम,
आयो शरण तिहारी ,भोले तारो तारो तुम।
बखान क्या करूँ मैं राखों के ढेर का,
तपती भभूत में है,खजाना कुबेर का,
है गंग धार ,मुक्तिद्वार ,औंकार तुम,
आयो शरण तुम्हारी, भोले तारो-तारो तुम।
क्या -क्या नहीं दिया हमें, हम क्या प्रमाण दें,
बस गये हैं त्रिलोक, शंभू तेरे दान से,
ज़हर पिया,जीवन दिया,कितने उदार तुम,
आयो शरण तिहारी भोले तारो-तारो तुम।
तेरी कृपा बिना न हिले, एक भी अणु,
लेते हैं श्वास तेरी दया से तनू -तनू,
कहे दास एक बार ,मुझको निहारो तुम,
आयो शरण तिहारी, भोले तारो-तारो तुम।
कैलाश के निवासी, नमो नमो बार- बार हूँ,
आयो शरण तिहारी…………………………