प्रभु जी मेंरो अवगुण चित न धरो ….२
समदर्शी है नाम तुम्हारो , नाम की लाज धरो।
प्रभु जी मेंरो अवगुण चित न धरो …………..
एक नदियाँ एक नार, कहावत, मैंलो नीर भरो ।
दोनों मिल जब एक वरण भइ ,
सुरसरी नाम पड़ो ।
प्रभु जी मेंरो ……………………………
प्रभु जी मेंरो ……………………………
एक लोहा पूजा में राखत, एक घर बधिक पड़ो।
यह दुविधा पारस नहीं जानत,
कंचन करत खरो ।
प्रभु जी मेंरो अवगुण…………………….
प्रभु जी मेंरो अवगुण…………………….
यह माया भ्रम जाल कहावत, सूरदास सगरो ।
अबकी बार मोहे पार उतारो,
नहीं प्रण जात टरो ।
प्रभु जी मेंरो अवगुण चित न धरो।
समदर्शी है नाम तुम्हारो, नाम की लाज धरो ।
प्रभु जी मेंरो……………………….
समदर्शी है नाम तुम्हारो, नाम की लाज धरो ।
प्रभु जी मेंरो……………………….