प्रभुजी मैंने पाया है पावन खज़ाना
जगत में न कोई है हरि के समाना
प्रभुजी मैंने पाया है पावन खज़ाना।
मेरे भाग्य कितना है जाने आज भारी
जो आये हैं दीनन के दुःख दर्द हारी
करा पार जाने का मुझसे बहाना
प्रभुजी मैंने पाया है पावन खज़ाना।
बहुत काल कीनी थी मैंने मजूरी
मिली आज मनमानी तनख्वा पूरी
पुनः मुझको भगवान दरस दिखाना
प्रभुजी मैंने पाया है पावन खज़ाना।
केवट की भक्ति पे भगवन हर्षाये
उसी वक्त देवों ने बहु पुष्प बरसाए
कहें राम जी हँसकर तू है बुद्धिमाना
प्रभुजी मैंने पाया है पावन खज़ाना।
कृपा सिंधु बोले सुनो भक्त भाई
करो भक्ति मेरी मिलो मुझसे आई
चरण भक्ति केवट प्रभू की महाना
प्रभुजी मैंने पाया है पावन खज़ाना।
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