जटाटवीगलज्जलप्रवाहपावितस्थले गलेवलम्ब्य लम्बितां भुजंगतुंगमालिकाम् । डमड्डमड्डमड्डमन्निनादवड्डमर्वयं चकार चण्डताण्डवं तनोतु न: शिव: शिवम् ।।१ ।। ( जिन्होंने जटारूप अटवी ( वन ) से निकलती हुई गंगाजी के गिरते हुये प्रवाहों से पवित्र किये गये गले में शर्पों की लटकती हुई विशाल माला को धारणकर , डमरू के डम- डम शब्दों से…
Tag: Shiva Stuti
वेदसारशिवस्तोत्रम् – शिवाकान्त शम्भो – संस्कृत में अर्थ सहित (Shivakant Shambhu)
श्रीशंकराचार्य द्वारा रचित वेदसारशिवस्तोत्र भगवान शिव की महिमा का वर्णन करता है। इसमें शिव को विश्वनाथ, महेश, पशुपति, और परमात्मा के रूप में संबोधित किया गया है। पाठ में शिव की अनंतता, स्वरूप, और संसार में उनकी भूमिका का समग्र उल्लेख है, जो भक्तों को उनकी भावना की प्रेरणा देता है।