नमामीश्वरं सच्चिदानंदरूपं लसत्कुण्डलं गोकुले भ्राजमानम् । यशोदाभियोलूखलाद्धावमानं परामृष्टमत्यं ततो द्रुत्य गोप्या ।।१ ।। ( जिनके कपोलों पर लटकते मकराकृत-कुंडल क्रीड़ा कर रहे हैं, जो गोकुल के चिन्मय धाम में परम शोभायमान हैं, जो दूध की हांडी फोड़ने के कारण माँ यशोदा से भयभीत होकर ऊखल के उपर से कूदकर अत्यन्त वेग से दौड़ रहे हैं…