!! प्रणत पाल रघु नायक, करुणा सिंधु खरारी गये शरण प्रभु राखिये, तव अपराध विसारी !! शरणागत पाल कृपाल प्रभु हमको एक आस तुम्हारी है तुम्हरे सम दुसर और नहीं नहीं दीनन के हितकारी है सुधि लेत सदा सब जीवन की अति ही करुणा विस्तारि है जब नाथ दया करी देखत हैं छूटी जात…