Mai Aarti Teri Gaoon
मैं आरती तेरी गाऊँ , ओ केशव कुंजबिहारी ।
मैं नित-नित शीश नवाऊँ , ओ मोहन कृष्ण मुरारी।।
है तेरी छवि अनोखी , ऐसी न दूजी देखी ।
तुझसा न सुंदर कोई , ओ मोर मुकुट धारी।।
मैं आरती………………… ।
जो आए शरण तिहारी , मिट जाए विपदा सारी।
हम सब पर कृपा रखना , ओ जगत के पालन हारी।।
मैं आरती…………………………………………।